Hindi Poem of Bashir Badra “Muskurati hui dhanak he vahi”,”मुस्कुराती हुई धनक है वही” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मुस्कुराती हुई धनक है वही

 Muskurati hui dhanak he vahi

मुस्कुराती हुई धनक है वही

उस बदन में चमक दमक है वही

फूल कुम्हला गये उजालों के

साँवली शाम में नमक है वही

अब भी चेहरा चराग़ लगता है

बुझ गया है मगर चमक है वही

कोई शीशा ज़रूर टूटा है

गुनगुनाती हुई खनक है वही

प्यार किस का मिला है मिट्टी में

इस चमेली तले महक है वही

 

 

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