Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Har Zarra yaha shoal dahan he ki nahi he“ , “हर ज़र्रा यहाँ शोला दहन है कि नहीं? है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हर ज़र्रा यहाँ शोला दहन है कि नहीं? है

 Har Zarra yaha shoal dahan he ki nahi he

हर ज़र्रा यहाँ शोला दहन है कि नहीं? है

अब वक़्त के माथे पे शिकन है कि नहीं? है

कहते थे कि दुनिया नहीं बदलेगी कभी भी

बदला हुआ दुनिया का चलन है कि नहीं? है

बिकने से भी बदतर है रेहन  होना किसी का

दिल हो कि दिमाग रेहन है कि नहीं? है

सर पर है कफ़न और जवाँ आरजू भी है

पर दार है की नहीं रसन है कि नहीं? है

रावन की सल्तनत तो शलभ अब भी है कायम

पर राम के हिस्से में भी वन है कि नहीं? है

 

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