Hindi Poem of Sumitranand Pant “Sandhya Vandana ”, “सांध्य वंदना” Complete Poem for Class 10 and Class 12

सांध्य वंदना -सुमित्रानंदन पंत

Sandhya Vandana – Sumitranand Pant

जीवन का श्रम ताप हरो हे!
सुख सुषुमा के मधुर स्वर्ण हे!
सूने जग गृह द्वार भरो हे!

लौटे गृह सब श्रान्त चराचर
नीरव, तरु अधरों पर मर्मर,
करुणानत निज कर पल्लव से
विश्व नीड प्रच्छाय करो हे!

उदित शुक्र अब, अस्त भनु बल,
स्तब्ध पवन, नत नयन पद्म दल
तन्द्रिल पलकों में, निशि के शशि!
सुखद स्वप्न वन कर विचरो हे!

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.