Hindi Poem of Surdas “Ankhiyan hari darasan ki pyasi, “अंखियां हरि–दरसन की प्यासी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अंखियां हरि–दरसन की प्यासी -सूरदास

Ankhiyan hari darasan ki pyasi – Surdas

 

अंखियां हरि–दरसन की प्यासी।

 देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि–दिन रहति उदासी।।

 आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डारि गए गर फांसी।

 केसरि तिलक मोतिन की माला¸ वृन्दावन के बासी।।

 काहू के मन को कोउ न जानत¸ लोगन के मन हांसी।

 सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ¸ करवत लैहौं कासी।।

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