Hindi Poem of Surdas “Butha su janm Gave Hein , “बृथा सु जन्म गंवैहैं ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बृथा सु जन्म गंवैहैं -सूरदास

Butha su janm Gave Hein – Surdas

 

बृथा सु जन्म गंवैहैं

 जा दिन मन पंछी उडि़ जैहैं।

 ता दिन तेरे तनु तरवर के सबै पात झरि जैहैं॥

 या देही को गरब न करिये स्यार काग गिध खैहैं।

 तीन नाम तन विष्ठा कृमि ह्वै नातर खाक उड़ैहैं॥

 कहं वह नीर कहं वह सोभा कहं रंग रूप दिखैहैं।

 जिन लोगन सों नेह करतु है तेई देखि घिनैहैं॥

 घर के कहत सबारे काढ़ो भूत होय घर खैहैं।

 जिन पुत्रनहिं बहुत प्रीति पारेउ देवी देव मनैहैं॥

 तेइ लै बांस दयौ खोपरी में सीस फाटि बिखरैहैं।

 जहूं मूढ़ करो सतसंगति संतन में कछु पैहैं॥

 नर वपु धारि नाहिं जन हरि को यम की मार सुखैहैं।

 सूरदास भगवंत भजन बिनु, बृथा सु जन्म गंवैहैं॥

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