Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Prapti ”, “प्राप्ति ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

प्राप्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Prapti – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

तुम्हें खोजता था मैं,
पा नहीं सका,
हवा बन बहीं तुम, जब
मैं थका, रुका।

मुझे भर लिया तुमने गोद में,
कितने चुम्बन दिये,
मेरे मानव-मनोविनोद में
नैसर्गिकता लिये;

सूखे श्रम-सीकर वे
छबि के निर्झर झरे नयनों से,
शक्त शिराएँ हुईं रक्त-वाह ले,
मिलीं – तुम मिलीं, अन्तर कह उठा
जब थका, रुका।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.