Hindi Poem of Trilochan “Kahen kihen jes tulsi tes kese ap hoye“ , “कहेन किहेन जेस तुलसी तेस केसे अब होये” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कहेन किहेन जेस तुलसी तेस केसे अब होये

Kahen kihen jes tulsi tes kese ap hoye

कविता केतना जने किहेन हैं आगेउ करिहैं;

अपनी अपनी बिधि से ई भवसागर  तरिहैं,

हमहूँ तौ अब तक एनहीं  ओनहीं  कै  ढोये;

नाइ सोक सरका तब फरके होइ के रोये।

जे अपनइ बूड़त आ ओसे भला उबरिहैं

कैसे बूड़इवाले सँग–सँग जरिहैं मरिहैं

जे, ओनहीं जौं हाथ लगावइँ तउ सब होये।

तुलसी अपुनाँ उबरेन औ आन कँ उबारेन।

जने–जने कइ नारी अपने हाथेन टोयेन;

सबकइ एक दवाई राम नाम मँ राखेन;

काम क्रोध पन कइ तमाम खटराग नेवारेन;

जवन जहाँ कालिमा रही ओकाँ खुब धोयेन।

कुलि आगे उतिरान जहाँ तेतना ओइ भाखेन।

 

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