Hindi Poem of Uday bhan mishra “Geet“ , “गीत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गीत – 1

Geet – 1

अंबर में चंदा का प्यार बहा जा रहा।

तारों के गहनों में, नाच रही चांदनी।

झींगुर की रुनझुन में, पायलें बजा रही।

बोल रही डालों पर ‘पी-पी’ पपीहरी,

बिरही उरों में आज पीड़ा जा रही।

डोल रहे धरती पर चलदल के पीते, पात,

भीनी सुगंध लिये मंद पवन आ रहा।

अंबर में…

अलसाई पुरवैया आज बही जा रही।

पिघली सी चांदी की धार बही जा रही।

धरती की छाती पर फूल झरे जा रहे-

पातों के आनन पर आंसु ढले जा रहे।

खोज रहा जुगनू है-मनमाना देवता-

भूला सा, मन का सितार बजा जा रहा।

अंबार में…

झूम रही उपवन में चंपा की डालियां।

खेतों में झूम रहीं-बाजरे की बालियां।

झांक रहे झुरमुट से-पंछी अलसाये से-

मार रहे डालों पर तीतर फुदकारियां।

खेल रहा मारुत भी-लतिका की गोद में-

लहरों में धुंधला सा चांद छिपा जा रहा।

अंबर में…

गीत – 2

Geet – 2

हंस लो कुछ क्षण और धरा पर, नभ के चांद सितारो!!

आग लिये हहराता पथ पर सूरज आता होगा।

कब तक ढांक सकेगी भू को, निशि तम की धारा में?

कब तक मौन रहेगा पंकज, कलियों की कारा में?

कब तक धरती की सुहाग पर, तम में छिपा रहेगा?

कब तक पत्तों के झुरमुट में-पंछी पड़ा रहेगा?

कब तक होगी मनचाही यह, कब तक धरा सहेगी?

कब तक भू पर अंधकार की-चादर तनी रहेगी?

कर लो अपने मन की कुछ क्षण और-गगन के तारो-

दीप लिये हहराता नभ में सूरज आता होगा।

अब तो जीवन और मरण का भीषण झगड़ा होगा।

और तुम्हारी मनचाही पर बल का पहरा होगा।

कुसुमों से खेलेगी हंस कर रोने वाली धरती।

हरी लताओं में झूमेगी, बन मतवाली धरती।

बंद रहेंगे गीत रात के-सरस प्रभाती होगी।

हारेगी जब रात, और जब जीत दिवस की होगी।

खोलो घर के द्वार, किरण आयेगी-भू के लोगों!!

थाल लिये कर में, कल सूरज तिलक लगाता होगा।

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