Hindi Poem of Udaybhanu Hans “Sahamte Swar 3“ , “सहमते स्वर-3” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सहमते स्वर-3

 Sahamte Swar 3

 

उतनी ही बड़ी सिद्धि

जितनी जग जाती

एक कविता लिख लेने में।

विगत अड़तालीस वर्षों से

तुमने मुझे ऐसा

निकम्मा बना दिया कि

कुरता-कमीज़ में

बटन तक टाँकने का

सीखा सलीका नहीं।

कुछ भी करो

हँसने का मौक़ा तो

न दो औरों को।

तुम्हें ही दोषी

ठहराएंगी पीढ़ियाँ

सीढ़िया गढ़न में

तुमने सब वार दिया

कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया

मुझसे निठल्ले को।

 

 

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