Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Jab Shiv aur narayan ke bhakt jhagd pade” , “जब शिव और नारायण के भक्त झगड़ पड़े” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

जब शिव और नारायण के भक्त झगड़ पड़े

Jab Shiv aur narayan ke bhakt jhagd pade

 

 

एक गांव में लक्ष्मीनारायण का मंदिर था। उसके दूसरी ओर ही शिवालय था। इन मंदिरों के बाहर एक वृद्धा फूल बेचती थी। एक दिन वृद्धा के पास फूल कम पड़ गए। तभी वहां एक शिवभक्त आया और फूल मांगने लगा।

 

उसी समय एक नारायण भक्त ने भी फूलों की मांग की। वह वृद्धा बोली- मैं फूल किसे दूं। मेरे पास दोनों को देने लायक फूल तो हैं नहीं। इस पर शिवभक्त बोला- तू मुझे फूल दे। भगवान महादेव को फूलों की अधिक जरूरत है। यह सुनकर नारायण भक्त बोला- ऐसा नहीं हो सकता। फूल मुझे चाहिए।

 

महादेव का क्या है, फूल नहीं हैं तो भभूत ही मल दें। यह सुनकर शिवभक्त उखड़ गया और बोला- जरा मुंह को संभाल। महादेव को भभूत लगाता है? अरे मूर्ख, शंकर तो जरा-सा नाम-जाप से ही प्रसन्न हो जाते हैं पर तेरे नारायण तो उम्र बीतने पर भी भक्त की बात नहीं सुनते। नारायण भक्त चिल्ला पड़ा।

 

क्या बढ़-चढ़कर बातें करता है? नंग-मलंग, गले में सांप, सारे शरीर पर भभूत, आसपास भूतों का डेरा, यह भी कोई भगवान है? इस प्रकार दोनों परस्पर शैव व वैष्णव मत की निंदा करने लगे। तभी एक तीसरा व्यक्ति वृद्धा से फूल लेकर चला गया। उस दिन गांव में महामंडलेश्वर धर्माचार्यजी आए हुए थे, जो शिवालय के दर्शन कर लक्ष्मीनारायण मंदिर की ओर जा रहे थे। उन्होंने दोनों से कहा- मैं शिवालय से आ रहा हूं और अब नारायण मंदिर में जा रहा हूं। तुम दोनों भी मेरे साथ आओ। जहां सच्चा धर्म होता है, वहां झगड़े नहीं होते हैं।

 

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