Motivational Story “Bhavishya aur ateet kalpit samay hai” Hindi Motivational Story for, Primary Class, Class 10 and Class 12

भविष्य और अतीत कल्पित समय हैं

Bhavishya aur ateet kalpit samay hai

एक वृद्ध व्यक्ति हवाईजहाज से न्यूयार्क जा रहा था. बीच के एक एयरपोर्ट पर एक युवक भी उसमें सवार हुआ. उस युवक के बैग को देखकर लगता था कि वह शायद किसी इंश्योरेंस कंपनी का एक्जीक्यूटिव था. युवक को उस वृद्ध व्यक्ति के पास की सीट मिली.

कुछ देर चुपचाप बैठे रहने के बाद उसने वृद्ध से पूछा, “सर, आपकी घड़ी में कितना समय हुआ है?”

वृद्ध कुछ देर चुप रहा, फिर बोला, “माफ़ करें, मैं नहीं बता सकता”.

युवक ने कहा, “क्या आपके पास घड़ी नहीं है?”

वृद्ध ने कहा, “घड़ी तो है, लेकिन मैं थोड़ा आगे का भी विचार कर लेता हूं, तभी कुछ करता हूं. अभी तुम पूछोगे ‘कितना बजा है’ और मैं घड़ी में देखकर बता दूगा. फिर हम दोनों के बीच बातचीत शुरु हो जाएगी. फिर तुम पूछोगे, ‘आप कहां जा रहे हैं’?. मैं कहूंगा, न्यूयार्क जा रहा हूं. तुम कहोगे, ‘मैं भी जा रहा हूं. आप किस मोहल्ले में रहते हैं’. तो मैं अपना मोहल्ला बताऊंगा. संकोचवश मुझे तुमसे कहना पड़ेगा कि अगर कभी वहां आओ तो मेरे यहाँ भी आ जाना. मेरी लड़की जवान और सुन्दर है. तुम घर आओगे, तो निश्चित ही उसके प्रति आकर्षित हो जाओगे. तुम उससे फिल्म देखने चलने के लिए कहोगे और वह भी राजी हो जाएगी. और एक दिन यह मामला इतना परवान चढ़ जाएगा कि मुझे विचार करना पड़ेगा कि मैं अपनी लड़की की शादी एक बीमा एजेंट से करने के लिए हामी भरूँ या नहीं क्योंकि मुझे बीमा एजेंट बिलकुल भी पसंद नहीं आते. इसलिए कृपा करो और मुझसे समय मत पूछो”

हम सभी इस आदमी पर हंस सकते हैं लेकिन हम सब इसी तरह के आदमी हैं. हमारा चित्त प्रतिपल वर्तमान से छिटक जाता है और भविष्य में उतर जाता है. और भविष्य के संबंध में आप कुछ भी सोचें, सब कुछ ऐसा ही बचकाना और व्यर्थ है, क्योंकि भविष्य कुछ है ही नहीं. जो कुछ भी आप सोचते हैं वह सब कल्पना मात्र ही है. जो भी आप सोचेंगे, वह इतना ही झूठा और व्यर्थ है जैसे इस आदमी का इतनी छोटी सी बात से इतनी लंबी यात्रा पर कूद जाना. इसका चित्त हम सबका चित्त है.

हम वर्तमान पर अपनी पूरी पकड़ से टिकते नहीं हैं और भविष्य या अतीत में कूद जाते हैं. जो क्षण हमारे सामने मौजूद है उसमें हम मौजूद नहीं हो पाते, लेकिन इसी क्षण की सत्ता है, वही वास्तविक है. अतीत और भविष्य इन दोनों के बंधनों में मनुष्य की चेतना वर्तमान से अपरिचित रह जाती है. अतीत और भविष्य दोनों मनुष्य की ईजाद हैं. जगत की सत्ता में उनका कोई भी स्थान नहीं, उनका कोई भी अस्तित्व नहीं.

भविष्य और अतीत कल्पित समय हैं, स्यूडो टाइम हैं, वास्तविक समय नहीं. वास्तविक समय तो केवल वर्तमान का क्षण है. वर्तमान के इस क्षण में जो जीता है, वह सत्य तक पहुंच सकता है, क्योंकि वर्तमान का क्षण ही द्वार है. जो अतीत और भविष्य में भटकता है, वह सपने देख सकता है, स्मृतियों में खो सकता है, लेकिन सत्य से उसका साक्षात कभी भी संभव नहीं है.

 

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