Hindi Poem of Adam Gondvi “Bhukhmari ki jad me he ya dark e saye me he“ , “भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है
Bhukhmari ki jad me he ya dark e saye me he

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है
अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है

छा गई है जेहन की परतों पर मायूसी की धूप
आदमी गिरती हुई दीवार के साये में है

बेबसी का इक समंदर दूर तक फैला हुआ
और कश्ती कागजी पतवार के साये में है

हम फ़कीरों की न पूछो मुतमईन वो भी नहीं
जो तुम्हारी गेसुए खमदार के साये में है

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