Hindi Poem of Amarnath Shrivastav “Batao kya kare“ , “बताओ क्या करें ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बताओ क्या करें
Batao kya kare

इस तरह मौसम बदलता है बताओ क्या करें
शाम को सूरज निकलता है बताओ क्या करें

यह शहर वो है कि जिसमें आदमी को देखकर
आइना चेहरे बदलता है बताओ क्या करें

आदतें मेरी किसी के होंठ कि मुस्कान थीं
अब इन्हीं से जी दहलता है बताओ क्या करें

दिल जिसे हर बात में हँसने कि आदत थी कभी
अब वो मुश्किल से बहलता है बताओ क्या करें

इस तरह पथरा गयीं आँखें कि इनको देखकर
एक पत्थर भी पिघलता है है बताओ क्या करें

ले रहा है एक नन्हा दिया मेरा इम्तहान
हवा के रुख पर सफलता है बताओ क्या करें

दोस्त मुझको देखकर विगलित हुए तो सह्य था
दुश्मनों का दिल बदलता है बताओ क्या करें

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