Hindi Poem of Gopal Singh Nepali “Door jakar na koi bisara kare”,”दूर जाकर न कोई बिसारा करे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दूर जाकर न कोई बिसारा करे

 Door jakar na koi bisara kare

दूर जाकर न कोई बिसारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे,

यूँ बिछड़ कर न रतियाँ गुज़ारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

मन मिला तो जवानी रसम तोड़ दे, प्यार निभता न हो तो डगर छोड़ दे,

दर्द देकर न कोई बिसारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

खिल रही कलियाँ आप भी आइए, बोलिए या न बोले चले जाइए,

मुस्कुराकर न कोई किनारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

चाँद-सा हुस्न है तो गगन में बसे, फूल-सा रंग है तो चमन में हँसे,

चैन चोरी न कोई हमारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

हमें तकें न किसी की नयन खिड़कियाँ, तीर-तेवर सहें न सुनें झिड़कियाँ,

कनखियों से न कोई निहारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

लाख मुखड़े मिले और मेला लगा, रूप जिसका जँचा वो अकेला लगा,

रूप ऐसे न कोई सँवारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

रूप चाहे पहन नौलखा हार ले, अंग भर में सजा रेशमी तार ले,

फूल से लट न कोई सँवारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

पग महावर लगाकर नवेली रंगे, या कि मेंहदी रचाकर हथेली रंगे,

अंग भर में न मेंहदी उभारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

आप पर्दा करें तो किए जाइए, साथ अपनी बहारें लिए जाइए,

रोज़ घूँघट न कोई उतारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

एक दिन क्या मिले मन उड़ा ले गए, मुफ़्त में उम्र भर की जलन दे गए,

बात हमसे न कोई दुबारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

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