Hindi Poem of Amarnath Shrivastav “Kahta he paka hua phal“ , “कहता है पका हुआ फल ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कहता है पका हुआ फल
Kahta he paka hua phal

कहता है पका हुआ फल
देह नहीं है मेरी सीमा
मुझसे है आगामी कल ।

चुभो रहे हैं जैसे पिन
वृन्त पर टिके मेरे दिन
जाने कब कौन सी हवा
ले जाए मेरे पल छिन
स्वागत में आया मेरे
समय लिए त्यौरी पर बल ।

हठयोगी तरु का मैं व्रत
पूर्णकाम है यह तन श्लथ
साथ-साथ चलते हैं अब
ऋतुओं के जितने तीरथ
रस अब तो पंचामृत है
भाव हो गए तुलसी दल ।

अन्तहीन ख़ुशबू का छोर
मंजरियों पर उगती भोर
धुँधली आँखों देखा है
रंग चढ़ी रेशे की डोर
फिर होगी धरती सुफला
साँचे में धूप रही ढल ।

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