Hindi Poem of Bashir Badra “Me kab kahta hu vo accha bahu he”,”मै कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मै कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है

 Me kab kahta hu vo accha bahu he

मै कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है

मगर उसने मुझे चाहा बहुत है

खुदा इस शहर को महफूज़ रखे

ये बच्चों की तरह हँसता बहुत है

मै तुझसे रोज़ मिलना चाहता हूँ

मगर इस राह में खतरा बहुत है

मेरा दिल बारिशों में फूल जैसा

ये बच्चा रात में रोता बहुत है

इसे आंसू का एक कतरा न समझो

कुँआ है और ये गहरा बहुत है

उसे शोहरत ने तनहा कर दिया है

समंदर है मगर प्यासा बहुत है

मै एक लम्हे में सदियाँ देखता हूँ

तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है

मेरा हँसना ज़रूरी हो गया है

यहाँ हर शख्स संजीदा बहुत है

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