Hindi Poem of Ambar Ranjna Pandey “Sparsh, “स्पर्श-1 ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

स्पर्श-1 – अम्बर रंजना पाण्डेय

Sparsh – Ambar Ranjna Pandey

 

दोपहर का खजूर सूर्य के एकदम निकट
पानी बस मटके में
छाँह बस जाती अरथी के नीचे

आँखों के फूल खुलने-खुलने को
थे जब
तुमने देखा
शंख में भर गंगाजल भिगोया शीश

कंधे भीग गए और निकल गया
गुलाबी रंग
साँवले कंधे और चौड़े हो गए
भरने को दो स्तनों को ऊष्ण
स्वेद से खिंचे हुए
खिंचे हुए भार से

पत्थर पर टूटने को और जेल में
कास लेने को
जब निदाघ में
और और श्यामा तू मुझमें एक हुई
पका, इतना पीला
कि केसरिया लाल होता हुआ
रस से
फटता, फूटा सर पर खरबूज
कंठ पर बही लम्बी-लम्बी धारें

मैं एकदम गिरने को दुनिया की
सबसे ऊँची इमारत की छत से

कि अब गिरा अब गिरा अब मैं

अब गिरा
रेत की देह

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