Hindi Poem of Ambar Ranjna Pandey “Sparsh -2, “स्पर्श-2 ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

स्पर्श-2 – अम्बर रंजना पाण्डेय

Sparsh -2 – Ambar Ranjna Pandey

 

तुमने मुझे छुआ पहली बार
और फल पकने लगा भीतर ही भीतर
सूर्य पर टपकने लगी
नींबू की सुगंध
जिसमें वह कसमसा रहा हैं अब तक

छटपटा रहीं हैं मछली की पूँछ
जैसे दुनिया
धूज रहा हूँ मैं बज रहीं हैं हड्डियाँ
यह वहीँ हड्डियाँ हैं
जो तुमसे मिलने के बाद
पतवार सी छाप-छाप करती हैं
शरीर नौका हो गया हैं

छूना जादू है हज़ारों-हज़ारों बार
इस बात को दोहराता हूँ मैं
मुझे दोहराने दो यह, तुम
यदि डिस्टर्ब होते हो

तो मुझे गाड़ दो ज़मीन में
या धक्का दे दो किसी खाई में

मेरी आँखें ख़राब हो चुकी हैं । कानों
को कुछ सुनाई नहीं देता ।
मैं कुछ सूंघ नहीं पाता मोगरे के
अलावा । नमक और गुड़ का अंतर
ख़तम हो गया हैं मेरे लिए

मैं बस छू पाता हूँ । तुम मुझे छुओं
इस छूने के लिए मैं जल चुका हूँ
पूरा का पूरा ।

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