Hindi Poem of Amitabh Bachchan “  Mere pita ko kabhi kisi dwandh ne nahi ghera“ , “मेरे पिता को कभी किसी द्वंद्व ने नहीं घेरा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरे पिता को कभी किसी द्वंद्व ने नहीं घेरा

 Mere pita ko kabhi kisi dwandh ne nahi ghera

 

मेरे पिता को कभी किसी द्वंद्व ने नहीं घेरा

जैसे कि पहले नहा लूँ या पहले खा लूँ

घूस लूँ या न लूँ

होली में गाँव जाऊँ या न जाऊँ

खाने के बीच पानी पीऊँ या नहीं

खद्दर पहनना छोड़ दूँ या पहनता रहूँ

पहले बिना माँ-बाप की भतीजी का ब्याह करूँ

या साइकिल खरीदूँ

दो दिन पहन चुका कपड़ा तीसरे दिन भी पहन लूँ या नहीं पहनूँ

शाम में खुले आकाश के नीचे बैठूँ या न बैठूँ

कुर्सी ख़ुद उठा लाऊँ या किसी से मँगवा लूँ

पड़ोस में अपनी ही जात वालों को बसाऊँ या न बसाऊँ

डायरी लिखता रहूँ या छोड़ दूँ

भिण्डी पाँच रूपए सेर है

डायरी में दर्ज करूँ न करूँ

गर्भ-निरोध का आपरेशन करवा लूँ या रहने दूँ

संशय से परे

उन्होंने कुछ अच्छा किया, कुछ बुरा

मैं सिर्फ संशयों में घिरा रहा

कवि मौन मुझे देखता रहा, देखता रहा

 

 

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