Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Sun raha hu isliye ullu banana chahte hai “ , “सुन रहा हूँ इसलिये उल्लू बनाना चाहते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुन रहा हूँ इसलिये उल्लू बनाना चाहते हैं
Sun raha hu isliye ullu banana chahte hai

 

व्यर्थ की संवेदनाओं से डराना चाहते हैं
सुन रहा हूँ इसलिये उल्लू बनाना चाहते हैं

मेरे जीवन की समस्याओं के साये में कहीं
अपने कुत्तों के लिये भी अशियाना चाहते हैं

धूप से नज़रे चुराते हैं पसीनों के अमीर
किसके मुस्तकबिल को फूलों से सजाना चाहते हैं

मेरे क़तरों की बदौलत जिनकी कोठी है बुलन्द
वक़्त पर मेरे ही पीछे सिर छुपाना चाहते हैं

कितने बेमानी से लगते हैं वो नारे दिल-फ़रेब
कितनी बेशर्मी से वो परचम उठाना चाहते हैं

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.