Hindi Poem of Anamika “Daulat pay na kijiye“ , “दौलत पाय न कीजिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दौलत पाय न कीजिए
Daulat pay na kijiye

 

दौलत पाय न कीजिए, सपनेहु अभिमान।
चंचल जल दिन चारिको, ठाउं न रहत निदान॥

ठाउं न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।
मीठे बचन सुनाय, विनय सबही की कीजै॥

कह ‘गिरिधर कविराय अरे यह सब घट तौलत।
पाहुन निसिदिन चारि, रहत सबही के दौलत॥

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