Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Me jindau hu ye mushthar kijiye“ , “मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए

 Me jindau hu ye mushthar kijiye

मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए 

मिरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए 

ज़मीं सख़्त है आसमाँ दूर है 

बसर हो सके तो बसर कीजिए

सितम के बहुत से हैं रद्द-ए-अमल

ज़रूरी नहीं चश्म तर कीजिए

वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिर

वही जुर्म बार-ए-दिगर कीजिए

क़फ़स तोड़ना बाद की बात है

अभी ख़्वाहिश-ए-बाल-ओ-पर कीजिए

 

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