Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “ Bin bataye kaha gye “ , “बिना बताए कहाँ गए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बिना बताए कहाँ गए

 Bin bataye kaha gye

 

तुम बिन मेरे

पिंजरे में दिन-रात

रजनीगन्धा

दहे रात भर

जागे-हँसे चमेली

देह हुई निष्पंद

कि जैसे

सूनी खड़ी हवेली

कौन भरे

मन का खालीपन?

कौन करेगा बात?

कोमल-कोमल

दूब उगी है

तन-मन ओस नहाए

दूर कहीं

कोई है वीणा

दीपक राग सुनाए

खद्योतों ने

भरी उड़ानें

जरे कमलनी पात

बिना नीर के

नदिया जैसी,

चँदा बिना चकोरी?

बिना प्राण के

लगता जैसे

माटी की हूँ छोरी

प्राण प्रतिष्ठा हो

सपनों की

टेर रही सौग़ात

 

 

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