Hindi Poem of Balkavi Beragi “ Sara desh hamara ”,”सारा देश हमारा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सारा देश हमारा

 Sara desh hamara

 

केरल से कारगिल घाटी तक

गोहाटी से चौपाटी तक

सारा देश हमारा

जीना हो तो मरना सीखो

गूंज उठे यह नारा

सारा देश हमारा

केरल से कारगिल घाटी तक…

लगता है ताजे कोल्हू पर जमी हुई है काई

लगता है फिर भटक गई है भारत की तरुणाई

कोई चीरो ओ रणधीरो!

ओ जननी के भाग्य लकीरों!

बलिदानों का पुण्य मुहूरत आता नहीं दुबारा

जीना हो तो मरना सीखो गूंज उठे यह नारा

सारा देश हमारा

केरल से कारगिल घाटी तक…

घायल अपना ताजमहल है ,घायल गंगा मैया

टूट रहे हैं तूफानों में नैया और खेवैया

तुम नैया के पाल बदल दो

तूफानों की चाल बदल दो

हर आंधी का उतार हो तुम,तुमने नहीं विचारा

जीना हो तो मरना सीखो गूंज उठे यह नारा

सारा देश हमारा

केरल से कारगिल घाटी तक…

कहीं तुम्हें परवत लड़वा दे ,कहीं लड़ा दे पानी

भाषा के नारों में गम है ,मन की मीठी वाणी

आग दो इन नारों में

इज्ज़त आ गई बाजारों में

कब जागेंगे सोये सूरज! कब होगा उजियारा

जीना हो तो मरना सीखो गूंज उठे यह नारा

सारा देश हमारा

केरल से कारगिल घाटी तक…

संकट अपना बाल सखा है इसको कंठ लगाओ

क्या बैठे हो न्यारे-न्यारे मिलकर बोझ उठाओ

भाग्य भरोसा कायरता है

कर्मठ देश कहाँ मरता है

सोचो तुमने इतने दिन में कितनी बार हुंकारा

जीना हो तो मरना सीखो गूंज उठे यह नारा

सारा देश हमारा

केरल से कारगिल घाटी तक…

 

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