Hindi Poem of Dinesh Singh “Sara Ghar aag aag ho gya”,”सारा घर आग-आग हो गया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सारा घर आग-आग हो गया

 Sara Ghar aag aag ho gya

खिली धूप तुझको कह देने से

चेहरा-चेहरा चिराग़ हो गया ।

तुझको चन्द्रमुखी कह दिया

सारा घर आग-आग हो गया ।

सावन की धूप या कुआँर की

धूप नहीं होती है प्यार की ।

फागुन की धूप बड़ी प्यारी है

मारी है मगर वह बयार की ।

बहकती बयार तुझे कहने से

हर मौसम बाग़-बाग़ हो गया ।

तुझको जो लाल परी कह दिया

सारा दिन आग-आग हो गया ।

तुझ-जैसी बहकती बयार मिले,

या कोई जलता अंगार मिले ।

पुरव‍इया सपनों तक ले जाए

दर्द पोर-पोर, तार-तार मिले ।

स्वप्न-सुंदरी तुझको कहने से

हर सपना हि सुहाग हो गया

मौलसिरि तुझको जो कह दिया

फूल-फूल, आग-आग हो गया ।

 

 

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