Hindi Poem of Balswaroop Rahi “  Jo bat mere kaan me khawabo ne kahi he”,”जो बात मेरे कान में ख़्वाबों ने कही है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जो बात मेरे कान में ख़्वाबों ने कही है

 Jo bat mere kaan me khawabo ne kahi he

 

जो बात मेरे कान में ख़्वाबो ने कही है

वो बात हमेशा ही ग़लत हो के रही है ।

जो चाहो लिखो नाम मेरे सब है मुनासिब

उनकी ही अदालत है यहाँ, जिनकी बही है ।

टपका जो लहू पाँव से मेरे तो वो चीख़े

कल जेल से भागा था जो मुजरिम वो वही है ।

वो चाहे मेरी जीभ मेरे हाथ पर रख दे

मैं फिर भी कहूँगा कि सही बात सही है ।

इक दोस्त से मिलने के लिए कब से खड़ा हूँ

कूचा भी वही, घर भी वही, दर भी वही है ।

उम्मीद की जिस छत के तले राही रुका मैं

वो छत ही क़यामत की तरह सिर पे ढही है ।

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