Hindi Poem of Balswaroop Rahi “  Palke bichaye to nahi bethi ”,”पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं

 Palke bichaye to nahi bethi

 

कटीले शूल भी दुलरा रहे हैं पाँव को मेरे

कहीं तुम पंथ पर पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं!

हवाओं में न जाने आज क्यों कुछ-कुछ नमी-सी है,

डगर की उष्णता में भी न जाने क्यों कमी-सी है,

गगन पर बदलियाँ लहरा रही हैं श्याम-आँचल-सी

कहीं तुम नयन में सावन छिपाए तो नहीं बैठीं।

अमावस की दुल्हन सोई हुई है अवनि से लगकर,

न जाने तारिकाएँ बाट किसकी जोहतीं जग कर,

गहन तम है डगर मेरी मगर फिर भी चमकती है,

कहीं तुम द्वार पर दीपक जलाए तो नहीं बैठीं!

हुई कुछ बात ऐसी फूल भी फीके पड़ जाते,

सितारे भी चमक पर आज तो अपनी न इतराते,

बहुत शरमा रहा है बदलियों की ओट में चन्दा

कहीं तुम आँख में काजल लगाए तो नहीं बैठीं!

कटीले शूल भी दुलरा रहे हैं पाँव को मेरे,

कहीं तुम पंथ सिर पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं।

 

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