Hindi Poem of Bashir Badra “Kuch to majburiya rahi hongi”,” कुछ तो मजबूरियाँ रही होगी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कुछ तो मजबूरियाँ रही होगी

 Kuch to majburiya rahi hongi

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,

यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।

तुम मेरी ज़िन्दगी हो, ये सच है,

ज़िन्दगी का मगर भरोसा क्या।

जी बहुत चाहता है सच बोलें,

क्या करें हौसला नहीं होता।

वो चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है,

बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है।

तुम अभी शहर में क्या नए आए हो,

रुक गए राह में हादसा देख कर।

वो इत्रदान सा लहज़ा मेरे बुजुर्गों का,

रची बसी हुई उर्दू ज़बान की ख़ुशबू।

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