Hindi Poem of Bashir Badra “Mil bhi jate he to katara ke nikal jate he”,”मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं

 Mil bhi jate he to katara ke nikal jate he

मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं

हाये मौसम की तरह दोस्त बदल जाते हैं

हम अभी तक हैं गिरफ़्तार-ए-मुहब्बत यारो

ठोकरें खा के सुना था कि सम्भल जाते हैं

ये कभी अपनी जफ़ा पर न हुआ शर्मिन्दा

हम समझते रहे पत्थर भी पिघल जाते हैं

उम्र भर जिनकी वफ़ाओं पे भरोसा कीजे

वक़्त पड़ने पे वही लोग बदल जाते हैं

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