Hindi Poem of Ibne Insha “Hum unse agar mil bethte he”,”हम उनसे अगर मिल बैठते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हम उनसे अगर मिल बैठते हैं

 Hum unse agar mil bethte he

हम उनसे अगर मिल बैठते हैं क्या दोष हमारा होता है

कुछ अपनी जसारत होती है कुछ उनका इशारा होता है

कटने लगीं रातें आँखों में, देखा नहीं पलकों पर अक्सर

या शामे-ग़रीबाँ का जुगनू या सुबह का तारा होता है

हम दिल को लिए हर देस फिरे इस जिंस के गाहक मिल न सके

ऎ बंजारो हम लोग चले, हमको तो ख़सारा होता है

दफ़्तर से उठे कैफ़े में गए, कुछ शे’र कहे कुछ काफ़ी पी

पूछो जो मआश का इंशा जी यूँ अपना गुज़ारा होता है

 

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