Hindi Poem of Nida Fazli “ Kache bakhiye ki tarha rishte udhad jate he ”,”कच्चे बखिए की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कच्चे बखिए की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं

Kache bakhiye ki tarha rishte udhad jate he 

 

कच्चे बखिए की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं

हर नए मोड़ पर कुछ लोग बिछड़ जाते हैं

यूँ हुआ दूरियाँ कम करने लगे थे दोनों

रोज़ चलने से तो रस्ते भी उखड़ जाते हैं

छाँव में रख के ही पूजा करो ये मोम के बुत

धूप में अच्छे भले नक़्श बिगड़ जाते हैं

भीड़ से कट के न बैठा करो तन्हाई में

बेख़्याली में कई शहर उजड़ जाते हैं

 

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