Hindi Poem of Bashir Badra “ Raat aankho me dhaki palko pe junu aaye” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए

 Raat aankho me dhaki palko pe junu aaye

रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए

हम हवाओं की तरह जाके उसे छू आए

बस गई है मेरे अहसास में ये कैसी महक

कोई ख़ुशबू में लगाऊँ तेरी ख़ुशबू आए

उसने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया

मुद्दतों बाद मेरी आँखों में आँसू आए

मेरा आईना भी अब मेरी तरह पागल है

आईना देखने जाऊँ तो नज़र तू आए

किस तकल्लुफ़ से गले मिलने का मौसम आया

कुछ काग़ज़ के फूल लिए काँच के बाजू आए

उन फ़कीरों को ग़ज़ल अपनी सुनाते रहियो

जिनकी आवाज़ में दरगाहों की ख़ुशबू आए

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