Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma’“Kuch Sun Le Kuch apne kah le , “कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें -भगवतीचरण वर्मा

Kuch Sun Le Kuch apne kah le -Bhagwati Charan Verma

 

कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें ।

 जीवन-सरिता की लहर-लहर,

मिटने को बनती यहाँ प्रिये

 संयोग क्षणिक, फिर क्या जाने

 हम कहाँ और तुम कहाँ प्रिये ।

 पल-भर तो साथ-साथ बह लें,

कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें ।

 आओ कुछ ले लें औ’ दे लें ।

 हम हैं अजान पथ के राही,

चलना जीवन का सार प्रिये

 पर दुःसह है, अति दुःसह है

 एकाकीपन का भार प्रिये ।

 पल-भर हम-तुम मिल हँस-खेलें,

आओ कुछ ले लें औ’ दे लें ।

 हम-तुम अपने में लय कर लें ।

 उल्लास और सुख की निधियाँ,

बस इतना इनका मोल प्रिये

 करुणा की कुछ नन्हीं बूँदें

 कुछ मृदुल प्यार के बोल प्रिये ।

 सौरभ से अपना उर भर लें,

हम तुम अपने में लय कर लें ।

 हम-तुम जी-भर खुलकर मिल लें ।

 जग के उपवन की यह मधु-श्री,

सुषमा का सरस वसन्त प्रिये

 दो साँसों में बस जाय और

 ये साँसें बनें अनन्त प्रिये ।

 मुरझाना है आओ खिल लें,

हम-तुम जी-भर खुलकर मिल लें ।

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