Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma’“Tum Sudhi ban banker baar-baar , “तुम सुधि बन-बनकर बार-बार ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

तुम सुधि बन-बनकर बार-बार -भगवतीचरण वर्मा

Tum Sudhi ban banker baar-baar -Bhagwati Charan Verma

तुम सुधि बन-बनकर बार-बार

 क्यों कर जाती हो प्यार मुझे?

फिर विस्मृति बन तन्मयता का

 दे जाती हो उपहार मुझे ।

 मैं करके पीड़ा को विलीन

 पीड़ा में स्वयं विलीन हुआ

 अब असह बन गया देवि,

तुम्हारी अनुकम्पा का भार मुझे ।

 माना वह केवल सपना था,

पर कितना सुन्दर सपना था

 जब मैं अपना था, और सुमुखि

 तुम अपनी थीं, जग अपना था ।

 जिसको समझा था प्यार, वही

 अधिकार बना पागलपन का

 अब मिटा रहा प्रतिपल,

तिल-तिल, मेरा निर्मित संसार मुझे ।

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