Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Ashadh ka pahla din“ , “आषाढ़ का पहला दिन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आषाढ़ का पहला दिन

 Ashadh ka pahla din

 

कहीं गरजन का जाकर दूर सिर के पास फिर पड़ना

उमड़ती नदी का खेती की छाती तक लहर उठना

ध्‍वजा की तरह बिजली का दिशाओं में फहर उठना

ये वर्षा के अनोखे दृष्‍य जिसको प्राण से प्‍यारे

जो चातक की तरह ताकता है बादल घने कजरारे

जो भूखा रहकर, धरती चीरकर जग को खिलाता है

जो पानी वक्‍त पर आए नहीं तो तिलमिलाता है

अगर आषाढ़ के पहले दिवस के प्रथम इस क्षण में

वही हलधर अधिक आता है, कालिदास के मन में

तू मुझको क्षमा कर देना।

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