Hindi Poem of Ramdarash Mishra “Yah bhi din beet gya“ , “यह भी दिन बीत गया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

यह भी दिन बीत गया

Yah bhi din beet gya

यह भी दिन बीत गया।

पता नहीं जीवन का यह घड़ा

एक बूँद भरा या कि एक बूँद रीत गया।

उठा कहीं, गिरा कहीं, पाया कुछ खो दिया

बँधा कहीं, खुला कहीं, हँसा कहीं, रो दिया।

पता नहीं इन घड़ियों का हिया

आँसू बन ढलकाया कुल का बन गीत गया।

इस तट लगने वाले और कहीं जा लगे

किसके ये टूटे जलयान यहाँ आ लगे

पता नहीं बहता तट आज का

तोड गया प्रीति या कि जोड नए मीत गया।

एक लहर और इसी धारा में बह गई

एक आस यों ही बंशी डाले रह गई

पता नहीं दोनों के मौन में

कौन कहाँ हार गया, कौन कहाँ जीत गया।

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