Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Bacho ki Tarha“ , “बच्चों की तरह” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बच्चों की तरह

 Bacho ki Tarha

 

और जब रोये तो बच्चे की तरह

ख़ालिस सुख ख़ालिस दुख

न उसमें ख़याल कुछ पाने का

न मलाल इसमें कुछ खोने का

सुनहली हँसी और आंसू रुपहले

दोनों ऐसे कि मन बहला

उससे भी इससे भी

कोरे क़िस्से भी अंश हो गए अपने

हर छाया के पीछे दौड़ाया सपनों ने

और दब गयी पाँवो के नीचे दौड़ते-दौड़ते

कोई छाया

तो हँसे खिलखिलाकर बच्चों की तरह

और छूट गया

हाथ छाया का आकर हाथ में

तो रोये तिलमिलाकर बच्चों की तरह

ख़ालिस सुख 

ख़ालिस दुख!

 

 

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