Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Naye Arth ki pyas me“ , “नये अर्थ की प्यास में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नये अर्थ की प्यास में

 Naye Arth ki pyas me

मन का गोताख़ोर डूब गया उभरकर

भँवर में अविश्वास के

 

हुआ ही कुछ तो यह हुआ कि

उमड़ लिये धारा के ऊपर–ऊपर

संदर्भों के घन और फिर वे भी

झंझावत में उड़ गये

बरस लिये शायद जाकर किन्हीं

अनजाने मैदानों में

और छू गई अगर आकर ठंडी हवा

उन  प्रांतरों की तो छटपटाये

नये अर्थों के लिए डूबे–डूबे  शब्द

छूकर ठंडी हवा

पानी की लकीरें बनकर

रह गये डूबे–उभरे शब्द

सन्दर्भों भरी भँवरी  से

वापिस ही नहीं हुए

मोती के लिए ताल तक पैठे हुए

मछुए!

 

 

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