Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Pyas ke bhitar pyas“ , “प्यास के भीतर प्यास” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्यास के भीतर प्यास

Pyas ke bhitar pyas

प्यास को बुझाते समय

हो सकता है कि किसी घूँट पर तुम्हें लगे

कि तुम प्यासे हो, तुम्हें पानी चाहिए

फिर तुम्हें याद आए

कि तुम पानी ही तो पी रहे हो

और तुम कुछ भी कह न सको।

प्यास के भीतर प्यास

लेकिन पानी के भीतर पानी नहीं।

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