Hindi Poem of Bhushan “Pretini Pichas aru nisachar nishacharahu, “प्रेतिनी पिसाच अरु निसाचर निशाचरहू ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

प्रेतिनी पिसाच अरु निसाचर निशाचरहू – भूषण

Pretini Pichas aru nisachar nishacharahu – Bhushan

 

प्रेतिनी पिसाच अरु निसाचर निशाचरहू,
मिलि मिलि आपुस में गावत बधाई हैं .

भैरो भूत-प्रेत भूरि भूधर भयंकर से,
जुत्थ जुत्थ जोगिनी जमात जुरि आई हैं .

किलकि किलकि के कुतूहल करति कलि,
डिम-डिम डमरू दिगम्बर बजाई हैं .

सिवा पूछें सिव सों समाज आजु कहाँ चली,
काहु पै सिवा नरेस भृकुटी चढ़ाई हैं .

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