Hindi Poem of Dhananjay singh “ Chandan van mahakne laga”,”चन्दन-वन महकने लगा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चन्दन-वन महकने लगा

 Chandan van mahakne laga

वेणी में

गूंथ मत गुलाब

चन्दन-वन महकने लगा ।

तुम जाने कौन हो गईं

मैं जाने कौन हों गया

मादक स्वर लहरियाँ बजीं

कोलाहल मौन हो गया

वाणी में घोल मत शराब

मेरा मन बहकने लगा ।

बर्फ़ीली रेत में उगे

गर्म-गर्म साँसों के गीत

पिघल उठा पथराया मन

लरज उठी धड़कन में प्रीत

बाँटों मत अधरों से प्यास

मधु-चुम्बन दहकने लगा ।

जीवन की परिधियाँ बढ़ी

हम तुम केन्द्राभिमुख हुए

तिर्यक स्पर्शियाँ खिंचीं

परिवर्तित दुख-सुख हुए

बाँहों में

सिमटा सैलाब

सावन-घन डहकने लगा ।

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