Hindi Poem of Dinesh Singh “Bahut din ke baad”,”बहुत दिन के बाद” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहुत दिन के बाद

 Bahut din ke baad

बहुत दिन के बाद देखा है

बहुत दिन के बाद आए हो

यह तमाशा कहाँ देखा था

जो तमाशा तुम दिखाए हो

फूल के दो चार दिन होंगे

कसे काँटों में, कठिन होंगे

सोचकर ना बना पथ की धूल

तुम्हारे कपड़े मलिन होंगे

देखता हूँ हर गली की धूल

आज माथे पर सजाए हो

प्यार की कारीगरी देखी

यार की बाजीगरी देखी

दिल लगाकर जब तुम्हें देखा

देह की जादूगरी देखी

बहुत भीतर उतरकर देखा

गजब मन का चलन पाए हो

बहुत मुश्किल में पड़े हो तुम

किस कदर ख़ुद से लड़े हो तुम

चल रहे हो दूसरों के साथ

पाँव पर अपने खड़े हो तुम

एक झूठी नक़ल के पीछे

क्यों असल चेहरा छिपाए हो

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