Hindi Poem of Dhananjay singh “ Din kyo beet gye”,”दिन क्यों बीत गए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दिन क्यों बीत गए

 Din kyo beet gye

कौन किसे

क्या समझा पाया

लिख-लिख गीत नए ।

दिन क्यों बीत गए!

चौबारे पर दीपक धरकर

बैठ गई संध्या

एक-एक कर तारे डूबे

रात रही बंध्या ।

यों

स्वर्णाभ-किरण-मंगल-घट

तट पर रीत गए ।

छप-छप करती नाव हो गई

बालू का कछुआ

दूर किनारे पर जा बैठा

बंसीधर मछुआ ।

फिर

मछली के मन पर काँटे

क्या-क्या चीत गए ।

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