Hindi Poem of Dhananjay singh “Bahut door dubi padchap”,”बहुत दूर डूबी पदचाप” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहुत दूर डूबी पदचाप

 Bahut door dubi padchap

गीतों के मधुमय आलाप

यादों में जड़े रह गए

बहुत दूर डूबी पदचाप

चौराहे पड़े रह गए

देखभाल लाल-हरी बत्तियाँ

तुमने सब रास्ते चुने

झरने को झरी बहुत पत्तियाँ

मौसम आरोप क्यों सुने

वृक्ष देख डाल का विलाप

लज्जा से गड़े रह गए

तुमने दिनमानों के साथ-साथ

बदली हैं केवल तारीख़ें

पर बदली घड़ियों का व्याकरण

हम किस महाजन से सीखें

बिजली के खंभे से आप

एक जगह खड़े रह गए

वह देखो, नदियों ने बाँट दिया

पोखर के गड्ढों को जल

चमड़े के टुकड़े बिन प्यासा है

आँगन चौबारे का नल

नींदों के सिमट गए माप

सपने ही बड़े रह गए

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