Hindi Poem of Dushyant Kumar “  Dharam“ , “धर्म” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

धर्म

 Dharam

 

तेज़ी से एक दर्द

मन में जागा

मैंने पी लिया,

छोटी सी एक ख़ुशी

अधरों में आई

मैंने उसको फैला दिया,

मुझको सन्तोष हुआ

और लगा

हर छोटे को

बड़ा करना धर्म है ।

 

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