Hindi Poem of Dushyant Kumar’“Chithade me Hindustan, “चीथड़े में हिन्दुस्तान ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

चीथड़े में हिन्दुस्तान – दुष्यंत कुमार

Chithade me Hindustan – Dushyant Kumar

 

एक गुडिया की कई

कठपुतलियों में जान है,

आज शायर ये तमाशा देख कर हैरान है।

 ख़ास सड़कें बंद हैं तब से मरम्मत के लिए,

यह हमारे वक्त की सबसे

सही पहचान है।

 एक बूढा आदमी है मुल्क में या यों कहो,

इस अँधेरी कोठारी में एक रौशनदान है।

 मस्लहत-आमेज़ होते हैं सियासत के कदम,

तू न समझेगा सियासत, तू अभी नादान है।

 इस कदर पाबंदी-ए-मज़हब की सदके आपके

 जब से आज़ादी मिली है, मुल्क में रमजान है।

 कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए,

मैंने पूछा नाम तो बोला की हिन्दुस्तान है।

 मुझमें रहते हैं करोड़ों लोग चुप कैसे रहूँ,

हर ग़ज़ल अब सल्तनत के नाम एक बयान है।

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