Hindi Poem of Dushyant Kumar “  Is nadi ki dhar me thandi hava aati to hai“ , “इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है

 Is nadi ki dhar me thandi hava aati to hai

 

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,

नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।

एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,

इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।

एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,

आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है।

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,

यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।

निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,

पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है।

दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,

और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है।

 

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