Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Bahut yaad aati he”,”बहुत याद आती है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहुत याद आती है

 Bahut yaad aati he

 

जब चाँद तले चुपचाप बैठ जाती हूँ, चुपचाप अकेली और अनमनी होकर,

कोई पंथी ऊँचे स्वर से गा उठता, उस दूर तलक पक्की सुनसान सडक पर,

तब जी जाने कैसा-कैसा हो उठता, बीता कोई दिन लौट नहीं पायेगा,

तन्मय स्मृति में हो खो जा मेरे मन, कोई सुख उसका मोल न भर पायेगा!

ना जाने कितनी रातों का सूनापन आ समा गया मेरे एकाकी मन में,

बीते युग की यह कैसी धुन्ध जमा है, मेरे जीवन के ढलते से हर क्षण में!

वह बडे भोर की उठती हुई प्रभाती, मेरे अँगना में धूप उतर आती थी,

जब आसमान उन्मुक्त हँसी हँसता था, जब आँचल भर सारी धरती गाती थी!

आ ही जाता है याद नदी का पानी, नैनों में कुछ जल कण आ छा जाते हैं

खुशियों की हवा न जिन्हें उडा पाती है, जो बन आँसू की बूँद न झर पाते हैं!

मैं सच कहती हूँ बहुत यादआती है,पर बेबस पंछी रह जाता मन मारे,

जाने कैसे चुपके से ढल जाते हैं अब तो मेरे जीवन के साँझ सकारे!

तेरी स्मृतियों की छाया यों मुझ पर छाकर, बल देती चले थके हारे जीवन को,

तू एक प्रेरणा बन जा अंतर्मन की, जो सदा जगाती रहे भ्रमित से मन को!

मेरी उदासियों का गहरा धूँधलापन, तेरे उजली आभा पर कभी न छाये,

अभिशापित किसी जनम की कोई छाया, तेरे निरभ्र नभ पर न कहीं पड जाये!

नाचो मदमस्त धान की बालों नाचो, श्यमल धरती के हरे-भरे आँचल में,

मैं दूर रहूँ, या पास रहूँ, इससे क्या, तुम फूलो फलो हँसो हर दम हर क्षण में!

 

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