Hindi Poem of Ghalib “Zindagi apni jab is shakal se guzari ‘Ghalib’ , “ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री ‘ग़ालिब’” Complete Poem for Class 10 and Class 12

ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री ‘ग़ालिब’ – ग़ालिब

Zindagi apni jab is shakal se guzari ‘Ghalib’ -Ghalib

 

ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे

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