Hindi Poem of Giridhar “Sai avsar ke pare“ , “साईं अवसर के परे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

साईं अवसर के परे
Sai avsar ke pare

 

साईं, बैर न कीजिए, गुरु, पंडित, कवि, यार।
बेटा, बनिता, पँवरिया, यज्ञ–करावनहार॥

यज्ञ–करावनहार, राजमंत्री जो होई।
विप्र, पड़ोसी, वैद्य, आपकी तपै रसोई॥

कह गिरिधर कविराय, जुगन ते यह चलि आई।
इअन तेरह सों तरह दिये बनि आवे साईं॥

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